भोजपुरी विकास संस्थान “भाषा, संस्कृति आ समाज के नया पहिचान”

भोजपुरी विकास संस्थान

“भाषा, संस्कृति आ समाज के नया पहिचान”

परिचय:
भोजपुरी विकास संस्थान एक स्वतंत्र, गैर-राजनीतिक सामाजिक संस्था ह, जवन भोजपुरी भाषा, बोली, लोकसंस्कृति, शिक्षा, आ ग्रामीण विकास के बढ़ावा देवे में सक्रिय बा। ई संस्थान मानेला कि जब ले आपन माटी, आपन भाषा जिंदा बा — तब ले असली पहचान बचल बा।

🎯 हमार उद्देश्य:

🔹 भोजपुरी भाषा के सरकारी, शैक्षिक आ प्रशासनिक मान्यता दिलवावे
🔹 गांव-गांव में लोकशिक्षा, नैतिकता, आ तकनीकी ज्ञान के प्रचार
🔹 लोकगीत, लोकनाट्य, साहित्य, लोकनायकन के सम्मान आ संरक्षण
🔹 RTI, जनसुनवाई, पंचायत भागीदारी के जरिए जन-जागरूकता
🔹 प्राकृतिक खेती, स्वदेशी उत्पाद आ आत्मनिर्भरता के प्रोत्साहन
🔹 युवा पीढ़ी में नेतृत्व, सेवा आ स्वाभिमान के भाव पैदा करल

📣 हमार अभियान:

📚 भोजपुरी पाठशाला: गांव के बच्चन खातिर भाषा आ संस्कृति आधारित शिक्षा
🎤 लोक चेतना मंच: नाटक, गीत, गोष्ठी आ कवि सम्मेलन
📜 जन अधिकार जागरूकता: RTI, पंचायत व्यवस्था, कानून के जानकारी
🌾 गो-आधारित प्राकृतिक खेती: जैविक खेती के प्रशिक्षण
🧠 मानसिक स्वास्थ्य शिविर: ग्रामीण क्षेत्र में चुप्पी तोड़े वाला संवाद
🐄 गौ-संवर्धन आ सेवा केंद्र

आईं, साथ दिहीं…

अगर रउरा लागेला कि भोजपुरी खाली बोलचाल के भाषा ना — बल्कि पहचान के सवाल बा,
अगर रउरा चाहतानी कि रउरा लइका गर्व से कहे — “हम भोजपुरी बानी!”
अगर रउरा लागेला कि गांव आ समाज के बदलाव अब तोहरा से शुरू होखे के चाहीं —

त जुड़ जाईं भोजपुरी विकास संस्थान से।
करे के बा बदलाव – बोले के बा हक से।

📞 संपर्क:
भोजपुरी विकास संस्थान
📍 समाज कल्याण परिषद भवन, रेदोपुर, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
📱 +91-9415505408
📧 bhojpurivikas2025@gmail.com
https://www.facebook.com/share/p/1BukRFrMk8/
🌿 भोजपुरी विकास संस्थान में नवजीवन के स्वागत में कल्पवृक्ष के रोपण 🌿

आज भोजपुरी विकास संस्थान, मुख्यालय – समाज कल्याण परिसर, आजमगढ़ में संगठन मंत्री अलोक सिंह जी के भांजे के जनम के शुभ अवसर पर कल्पवृक्ष के रोपण कइल गइल।

ई पावन काम न केवल पर्यावरण के बचावे खातिर एक सराहनीय कदम बा, बलुक एमें भारतीय संस्कृति आ परंपरा के भी गहिरा बोध बा — जहाँ हर नया जनम पर धरती माँ के आशीर्वाद में एक वृक्ष जरूर लगावल जाला।

संस्थान ई अवसर के “हर जनम के संगे एक जीवनदाता वृक्ष” अभियान के तहत मनवलस, जे आने वाला पीढ़ी खातिर हरियाली, स्वच्छता आ प्रकृति से जुड़ाव के संदेश देत बा।
नवजीवन के स्वागत में कल्पवृक्ष रोपण और सेवा कार्य का संदेश

स्थान: समाज कल्याण परिसर एवं एलआईसी बिल्डिंग, आजमगढ़
तिथि: 15 जून 2025

आज भोजपुरी विकास संस्थान के मुख्यालय पर संगठन मंत्री अलोक सिंह जी के भांजे के जन्म के पावन अवसर पर कल्पवृक्ष रोपण कइल गइल।
ई कार्य “हर जनम के संगे, एक जीवनदाता वृक्ष” अभियान के तहत कइल गइल, जे पर्यावरण संरक्षण आ भारतीय परंपरा के जीवंत रूप प्रस्तुत करेला।

संस्थान के संकल्प:

“प्रत्येक नवजात के आगमन पर एक वृक्ष लगाकर हम न केवल पर्यावरण के बचाईं, बलुक संस्कारों के भी सिंचाईं।”

 

साथे ही, “रविवार सेवा सप्ताह” के तहत तमसा परिवार और भोजपुरी विकास संस्थान के सहयोग से एलआईसी बिल्डिंग परिसर में
वृक्षों की छंटाई, सफाई व स्वच्छता अभियान चलावल गइल।

👉 ई अभियान समाज में पर्यावरणीय चेतना, सामूहिक सहभागिता, आ जनकल्याण के प्रति जाग…
धन्यवाद 👍
भोजपुरी विकास संस्थान को सहयोग राशि प्रदान करने के लिए…. आप भोजपुरिया लोगों का सहयोग संस्थान को ऊर्जा प्रदान करेगा। जय भोजपुरी
आपकी उपस्थिति से कोई व्यक्ति स्वयं के दुःख भूल जाए तो यहीं आपकी उपस्थिति की साथर्कता हैं.!

भलाई करते रहिए बहते पानी की तरह। बुराई खुद ही किनारे लग जाएगी कचरे की तरह.!!

विधिक सहायता और चिकित्सकीय परामर्श के लिए भी भोजपुरी विकास संस्थान का सहयोग लिया जा सकता है
भोजपुरी विकास संस्थान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति और इसकी विरासत को संरक्षित, प्रचारित और विकसित करना होता है। इस प्रकार के किसी भी संस्थान के उद्देश्य (Objectives), विजन (Vision) और वैल्यूज (Values) को नीचे स्पष्ट रूप से बताया गया है:

🎯 उद्देश्य (Objectives):

1. भोजपुरी भाषा का संरक्षण व संवर्धन

भोजपुरी को शिक्षा, प्रशासन और तकनीक के क्षेत्र में स्थान दिलाना।

लोकगीत, लोकनाट्य, कथाएँ, मुहावरे और कहावतों का दस्तावेजीकरण करना।

2. भोजपुरी साहित्य और लेखकों का प्रोत्साहन

लेखन प्रतियोगिताओं, संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन।

प्रतिभाशाली भोजपुरी लेखकों, कवियों, पत्रकारों को सम्मानित करना।

3. भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने की पहल

भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु जनजागरण अभियान।

4. भोजपुरी संस्कृति और लोक परं…
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना बालिकाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई एक बेहतरीन पहल है। इस योजना की ताज़ा जानकारी नीचे दी जा रही है:

🎯 योजना का उद्देश्य

कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, बालिकाओं में लिंग असंतुलन रोकना

पढ़ाई और स्वास्थ्य को बढ़ावा देना

बेटियों को स्वावलंबी बनाना

📅 शुरूआत तपशील

चालू वित्तीय वर्ष (2024–25) से राशि ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दी गई है

योजना 1 अप्रैल 2019 से लागू है

💰 छः चरणों में भुगतान (कुल ₹25,000)

चरण समय/कार्य घटना राशि

1️⃣ जन्म बेटी के जन्म पर ₹5,000
2️⃣ टीकाकरण 1 वर्ष में पूरा टीकाकरण ₹2,000
3️⃣ कक्षा 1 में प्रवेश ₹3,000
4️⃣ कक्षा 6 में प्रवेश ₹3,000
5️⃣ कक्षा 9 में प्रवेश ₹5,000
6️⃣ उच्च शिक्षा 10वीं/12वीं उत्तीर्ण + स्नातक या 2+…

1. स्कूल सरकारी है – अधिकतर सरकारी स्कूलों में फीस या तो बहुत कम होती है या बिल्कुल नहीं होती। कुछ नाममात्र की फीस ₹300–₹500 साल भर की होती है, और कई बार वो भी माफ हो जाती है।

2. सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल है – ऐसे स्कूलों में भी सालाना ₹3000 में पढ़ाई संभव हो सकती है।

3. ग्रामीण क्षेत्र का छोटा निजी स्कूल है – कुछ निजी स्कूल बहुत ही कम फीस लेते हैं, जैसे ₹200–₹300 प्रति महीना। ऐसे में ₹3000 में 10–12 महीने की पढ़ाई हो सकती है।
4.
RTE के अंतर्गत प्राइवेट विद्यालयों की 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। दुर्बल और अलाभित वर्ग के लोग जिन पर प्रवेश प्रवेश करा सकते हैं।
ड्रेस और स्टेशनरी के लिए 5000 रुपए वार्षिक अभिभावक के खाते में।
माइनॉरिटी के विद्यालयों को छोड़कर माइनॉरिटी के विद्यालय में आरटीइ अधिनियम लागू नहीं हो रहा है

सरकार तबे ध्यान देला जब जनमानस में जागरूकता हो, एकजुटता हो, आ मजबूत जनदबाव बने। भोजपुरी के करोड़ों बोलइया हउवें, लेकिन जब ई करोड़ों लोग अलग-अलग बोलत बा, तब सरकार के बहाना मिल जाला कि “ऐमें एकजुट मांग नाहीं बा।”
कुछ जरूरी बिंदु जे भोजपुरिया समाज के समझे के चाहीं:

1. राजनीतिक दबाव जरूरी बा:
जब क्षेत्रीय सांसद, विधायक, आ जनप्रतिनिधि संसद आ विधानसभाओं में आवाज उठाईहें, त सरकार के मजबूर होखे के पड़ी।

2. सामाजिक-सांस्कृतिक एकता:
भोजपुरिया समाज के जात-पात, जिला-प्रदेश के भेदभाव छोड़के “भोजपुरी भाषा” के सवाल पर एक साथ आवे के जरूरत बा।

3. संगठित आंदोलन:
दिल्ली, पटना, लखनऊ, आ देशभर के भोजपुरिया …
भोजपुरी हमार अस्मिता, हमार गौरव ह – एकरा के आठवीं अनुसूची में शामिल करावल अब सिर्फ मांग ना, आंदोलन के रूप ले चुकल बा।
बहुत हो गइल चुप्पी – अब समय आ गइल बा कि देस-दुनिया में फैलल भोजपुरिया एक स्वर में बोले – हमके संविधान में जगह चाहीं।”

— देवनाथ सिंह, सामाजिक चिंतक व भोजपुरी हितैषी

 

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